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रविवार, 12 जनवरी 2014

कुमार विश्वास का विरोध? - शम्भु चौधरी

अफसोस कि बात है राजनीति महत्वाकांक्षा पालने वाले धार्मिक नेताओं की चुप्पी कहीं ना कहीं देश के लोकतंत्र को गुंडों के बल पर चलाने का प्रयास करना है। राजनीति को गुंडे तत्वों का अखाड़ा समझने वाले उन तमाम ताकतों को यह समझ लेना चाहिये कि पिछले 65 सालों से जिस प्रकार लोकतंत्र को जाति, समुदाय में बांट कर राजनीति कर सत्ता के सौदागर बने हुए थे उनके दिन अब लदने को आ चुके हैं। एक कुमार विश्वास को मारने से सैकड़ों कतार में लग जायेंगे।

अमेठी : (Date 13.01.2014)  दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी की सफलता को कांग्रेस अभी पचा भी नहीं पाई थी कि उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी के पुश्तैनी चुनाव क्षेत्र अमेठी में कुमार विश्वास का पंहुचना इनको इतना अखड़ा कि एक 6-7 साल पुराने टिप्पणी पर मुसलमानों को राजनीति करने के लिए उकसाया गया। जबकि उस विवादित टिप्पणी पर कुमार विश्वास कई बार सार्वजनिक माफी भी मांग चुके हैं।

दरअसल ये विवाद उस टिप्पणी को लेकर नहीं यदि वैसा होता तो उसका विरोध करने वाले दिल्ली विधानसभा के एक मात्र जदयू विधायक शोएब इक़बाल जो दो दिन पूर्व उसी खास टिप्पणी पर भड़के हुए थे अचानक से जदयू को छोड़कर ‘आप’ में शामिल होने की इच्छा नहीं जाहिर करते। 

ज़रूर कहीं ना कहीं दाल में काला हैं जो मुसलमानों की भावना को भड़काने का प्रयास कर रहा है। भले ही वो इमाम बुख़ारी साहब ना हो पर जिस प्रकार अमेठी के रास्ते में कुमार विश्वास और ‘आप’ की बस के शीशे तोड़े गये, पत्थर चलाये गए और काले झंडे दिखाये गए इससे तो यह बात साफ हो जाती है कि कहीं ना कहीं इमाम साहब इस आग को हवा देकर अपनी अहमियत दिखाने का प्रयास कर रहें हैं कि देश की राजनीति, मुसलमानों का वोट बैंक उनके झोली से ही निकलते हैं। यदि यह बात सही नहीं है तो इमाम बुख़ारी को सामने आकर अपनी जमात को कहना चाहिये था कि ‘‘वह विवाद कब का समाप्त हो चुका है ऐसे में शोर मचाना उचित नहीं हैं।’’ परंतु उनकी चुप्पी कुछ ओर ही बयान करती है।

 अफसोस कि बात है राजनीति महत्वाकांक्षा पालने वाले धार्मिक नेताओं की चुप्पी कहीं ना कहीं देश के लोकतंत्र को गुंडों के बल पर चलाने का प्रयास करना  है। राजनीति को गुंडे तत्वों का अखाड़ा समझने वाले उन तमाम ताकतों को यह समझ लेना चाहिये कि पिछले 65 सालों से जिस प्रकार लोकतंत्र को जाति, समुदाय में बांट कर राजनीति कर सत्ता के सौदागर बने हुए थे उनके दिन अब लदने को आ चुके हैं। एक कुमार विश्वास को मारने से सैकड़ों कतार में लग जायेंगे।

कुमार विश्वास अमेठी में अकेले नहीं है देश की जन भावना उनके साथ है। ऐसे में कोई भी राजनीति पार्टी या उनका गुंडा कुछ भी हरकतें करता हो, भले ही वह भाजपा, कांग्रेस के इशारे से हो या किसी हिन्दू- मुस्लिम धार्मिक कट्टरपंथियों के द्वारा इसके दुष्परिणाम भुगतने के भी उनको तैयार रहना होगा। 

 आम आदमी के क्रोध की परीक्षा ना लें ये राजनीति दल। लोकतंत्र को बंदर बांट करने के दिन अब लदने जा रहें हैं। अमेठी तो एक संकेत मात्र है। जो लोग सोचते हैं कि उनके हाथ में ही अंडे-डंडे हैं वे इस भ्रम को ना पाले कि आम आदमी चुप बैठेगी। यदि यही अंडा -डंडा आम आदमी ने उठा लिया तो पूरा लोकतंत्र लाल हो जाएगा।

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