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रविवार, 19 जनवरी 2014

बात पते की - दिल्ली पुलिस का अपहरण

20.01.2014 (Kolkata)
 जल्द ही रहस्य से पर्दा उठने का समय आ गया है। दिल्ली की पुलिस के नाक के नीचे विदेशी महिलाओं के द्वारा देह व्यापार, ड्रग्स का व्यापार उनके संरक्षण में चल रहा था। कहीं कोई रोक-टोक नहीं थी। कोई उनको बोलने वाला नहीं था। रोजाना आपके हमारे बैंकों के एकाउन्टस को हाईजैक कर लेना, लाटरी के नाम पर जाली एसमएस, इमेल का रेकैट फैलाने वाले का धंधा जैसे ही चौपट होने के कगार आया कि तमाम वे ताकतें, जिसमें दिल्ली की पुलिस सहित केंद्र के कई नेता और तमाम उन राजनीति ताकतों के प्यादे की मिलभगत, सबके-सब रातों-रात बैखला गये।

 दिल्ली पुलिस को  अचानक से उनको रात में सपना भी आ गया कि केजरीवाल का अपहरण तक हो सकता है। दरअसल ये अपहरण की हवा सिर्फ केजरीवाल को दिल्ली पुलिस के द्वारा ब्लैकमेल करने की साजिस है। दिल्ली का रेकैट चाहता है कि उनके फलफूल रहे धंधे में केजरीवाल व उनके मंत्री उनके धंधे में कोई दखल ना दें अन्यथा उनका अपहरण तक किया जा सकता है। 

 दिल्ली के कानून मंत्री श्री सोमनाथ भारती ने पिछली रात स्थानीय लोगों की लगातार सूचना के अनुसार दिल्ली पुलिस को घटनास्थल पर जाने का आदेश दिया, दिल्ली पुलिस उन पर कार्यवाही करने से इंकार कर दी, मंत्री को कहती है उनके पास वारंट नहीं है। दिल्ली के कानून मंत्री का यह प्रयास उनको इतना नागवार गुजरा कि वे उनके ही ऊपर ही विदेशी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का आरोप जड़ दिया ।

 सरेआम दिल्ली में सैकड़ों महिलाओं की ईज्जत को लुटते देखनेवाली दिल्ली पुलिस को कभी शर्म तक नहीं आती कि दिल्ली में इतनी घटनायें क्यों और कैसे हो जाती है जबकि देश की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दिल्ली में दिल्ली पुलिस द्वारा पूरे ताम-झाम के साथ की जाती है। 

करोंड़ों का धन सिर्फ नेताओं की चौकीदारी में ही बहा दिया जाता है। कानून-व्यवस्था के नाम पर देश की आंख में घूल झौंकनेवाली दिल्ली पुलिस क्या है बता पायेगी कि दिल्ली में जब कई बम धमाके हुए तो उनकी सूचना उनके पास क्यों नहीं थी? आज अचानक से केजरीवाल के अपहरण की बात, किस बात की तरफ संकेत देती है? - शम्भु चौधरी

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

बात पते कीः ‘राजधर्म’ ? - शम्भु चौधरी


 लोकसभा का चुनाव सर पर आ गया। कांग्रेस पार्टी में हार की बैचेनी साफ दिखने लगी है। वहीं दिल्ली फ़तह में जुटी भाजपा देश की जनता में देश प्रेम की भावना (गुब्बारे में हवा) भरने में लगी है। यही भाजपा एक बार देश में ठीक इसी प्रकार का प्रयोग राम मंदिर बनाने के मुद्दे पर कर चुकी है।  ‘‘कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनायेगें’’ सरकार बनते ही मंदिर गया बुट लादने। कैसा राम मंदिर? मंदिर तो हमारे एजेंडे में था ही नहीं। यह तो एनडीए की सरकार है। भाजपा की सरकार बनेगी तब सोचेगें। न्यायालय का आदेश आने से या सुलह हो जाने से राम मंदिर बनाया जायेगा। फिर कुछ दिनों बाद भाषा में थोड़ा बदलाव आया। राममंदिर हमारे लिये एक राष्ट्रीय मुद्दा है। इससे देश के करोड़ों लोगों की जन भावना जुड़ी हुई है।
2014 के चुनाव में भाजपा ने मंदिर मुद्दे कुल मिलाकर पल्ला ही झाड़ लिया है। अब इस बूढ़ी घोड़ी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लाल लगाम चढ़ा दी है। मोदीजी दुल्हे की तरह जँचने भी लगे। सज-धज के तैयार गुजरात के वीर पुरुष श्री नरेंद्र मोदी जी रोज नये-नये सपने देखने लगे हैं।

श्री नरेंद्र मोदी जी अभी तक अटल जी की एक अटल वाक्य को बोल नहीं पाये ‘‘राजधर्म का पालन करें’’   हाँ! मोदीजी इसी बात को कई प्रकार से समझाने में लगे हैं कि ‘‘सरकार का एक ही धर्म है ‘इंडिया फस्ट’, एक ही धर्मग्रंथ है ‘देश का संविधान’, एक ही भक्ति है ‘देश भक्ति’ फिर कुछ दिनों बाद याद आया तो इस कलाम में एक वाक्य और जोड़ दिये देश की एक ही शक्ति है ‘जन शक्ति’ कोटी जनता देश की जनशक्ति, सरकार की एक ही पूजा होती है देश के 125 करोड़ जनता की भलाई। अब तो मुसलमानों के गुणगान में भी कशिदे पढ़ने लगे।  


मोदी जी आप इतना लंबा-चौड़ा भाषण देकर अटल जी की एक वाक्य ‘‘राजधर्म का पालन करें’’ को हमें समझाने में लगे हैं। आप क्या समझते हैं कि आप और आपके समर्थक ही चतुर और बाकी मुर्ख? आपके समर्थकों ने तो अभी से ही आपा खो दिये हैं। हमें देशभक्ति का पाठ बाद में पढ़ा देना, चुनाव से पहले अपने समर्थकों को पाठ पढ़ा दो कि वे देशभक्ति में इतने मतवाले ना बन जाय कि आपका सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाए।
18.01.2014 (Kolkata) 

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

बात पते कीः ‘‘आप’ को वोट देने के पहले सोचें?’’ - शम्भु चौधरी


अब इस बात में कोई बहस नहीं रही कि देश में तीसरा विकल्प गर्भ में जन्म ले चुका है। जो कांग्रेस और भाजपा की भ्रष्ट राजनीति से अलग अपनी नई सोच रखता है। कांग्रेसवाद, भ्रष्टवाद, बामवाद, समाजवाद, गाँधीवाद, लोहियावाद, दक्षिणवाद, पश्चिमवाद, दलीतवाद, अल्पसंख्यकवाद, हिन्दूवाद, मुस्लिमवाद और ना जाने कितने वाद के वादों की भूलभुलैया के बीच एक नया वाद जिसे ‘इंसानवाद’ का नाम देना सटीक रहेगा, ने जन्म ले लिया है।

(कोलकाता- 15.01.2014) : दिल्ली विधानसभा के चुनाव में ‘आप’ को सफलता क्या मिली, भाजपा के कर्णधार नेतागण सबके सब अपनी नैतिकता को भूला बैठे। अपनी प्रमुख राजनीति प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस को निशाना लगाने से हटकर पूरे देश में ‘आप’ के खिलाफ जनमत बनाने में लग गई। अचानक से इनके ऊपर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा कि भाजपा को कांग्रेस से कहीं ज्यादा ‘आम आदमी’ से खतरा लगने लगा?
फेसबुक पर इनके समर्थकों की भाषा शर्मनाक तो हो ही चुकी है संघ संचालित व संघ विचारधारा के पोषक लेखकों की भाषा ने भी अपना संयम खो दिया है। कोलकाता के एक प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र ने तो अपनी संपादकीय में ही लिख दिया कि ‘‘ ‘आप’ को वोट देने के पहले सोचें’’  संपादक जी अभी से इतनी घबड़ाहट क्यों?  कि इनको संपादकीय तक लिखना पड़ा। 

कुछ लोग इसे पानी का बुलबुला मानते हैं तो कुछ चिल्लड़ पार्टी कहने से नहीं चुकते। इसमें बुरा तो कुछ भी नहीं दिखता। ये मानते हैं कि देश की जनता को अभी से जितना डराया और धमकाया जाएगा उतना वे मोदी के पक्ष में खड़े हो जायेंगे। मानो गुजरात मॉडल का प्रयोग संघी समर्थक पूरे देश में करना चाहते हैं। 
जहां एक तरफ कांग्रेस आज काफी राहत महसूस कर रही है कि कल तक भाजपा का जो रूख उसके विरूद्ध था वह अब ‘आप’ के पीछे हाथ धो कर लग गयी है। 

वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी हाथ-पाँव अभी से ही फूलने लगे हैं। इनको लगता है कि कांग्रेस से कहीं ज्यादा नुकसान भाजपा को  ‘आप’ से हो सकता है। वर्तमान हालत तो यही संकेत दे रहें हैं कि जिस पार्टी का अभी तक देश में ठंग से कोई संगठन तक नहीं तैयार है। जिसने महज मां के भ्रूण में कदम ही रखा है उसे मारने के लिये देश के तमाम जाने-माने राजनीतिज्ञों की एक फौज लामबंध हो चुकी है। शायद इसीलिये राजनीति से खुद को दूर रखने वाली सामाजिक व देश की संस्कृति की रक्षा में लिप्त संस्था के सरसंघचालक को इस बात की चिंता अभी से सताने लगी और लगे हाथ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा को हिदायत दे डाली कि ‘‘वह आम आदमी पार्टी को हल्के में ना लें’’ 

अब इस बात में कोई बहस नहीं रही कि देश में तीसरा विकल्प गर्भ में जन्म ले चुका है। जो कांग्रेस और भाजपा की भ्रष्ट राजनीति से अलग अपनी नई सोच रखता है। कांग्रेसवाद, भ्रष्टवाद, बामवाद, समाजवाद, गाँधीवाद, लोहियावाद, दक्षिणवाद, पश्चिमवाद, दलीतवाद, अल्पसंख्यकवाद, हिन्दूवाद, मुस्लिमवाद और ना जाने कितने वाद के वादों की भूलभुलैया के बीच एक नया वाद जिसे ‘इंसानवाद’ का नाम देना सटीक रहेगा, ने जन्म ले लिया है। शायद अरविंद केजरीवाल इसीलिए अपनी पार्टी के हर बैठक में कवि प्रदीप का यह गीत को गुनगुनाते हैं - ‘‘इंसान को इंसान से हो भाई चारा, यही पैगाम हमारा.. यही पैगाम हमारा।’’

सोमवार, 13 जनवरी 2014

बात पते की - मोदी की हवा?

सच है कि राजनीति में घोड़े की चाल हमेशा 2.5 की होती है। शह-मात का खेल जो चलना था नितिन गड़करी जी को, सो उन्होंने डा.हर्षबर्धन को साफ मना कर दिया कि वे किसी की बात ना सुने। जाहिर था इन सबके पीछे सुषमा स्वराज और सबके पीछे थे प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये आडवाणी जी। मोदी की हवा तो निकलनी ही थी।

 दिल्ली भाजपा ने मोदी का पूरा खेल ही बिगाड़ दिया अब मोदी पगला गये, इनके समर्थक गाल-गलौज की भाषा का प्रयोग करने को ऊतारु हैं। इनको लगने लगा कि दिल्ली अब दूर हो गई है। चंद दिनों पहले तक मोदी के समर्थन में एक तरफा हवा बह रही थी, पिछले पांच राज्यों के चुनाव में 4 उत्तर भारत के राज्य ऐसे थे जिसमें भाजपा की एकतरफ़ा जीत दर्ज थी।

परन्तु भाजपा के पुराने खिलाड़ी और राजनाथजी के कट्टर विरोधी दिल्ली भाजपा के प्रभारी श्री मान् नितिन गडकरी जी भीतर ही भीतर मोदी के रथ को रोकने की योजना पर कार्य कर रहे थे इसके लिये उन्होंने विजय गोयल की दुखती नब्जों को सहलाया और दिल्ली में कमजोर नेतृत्व को सामने ला खड़ा किया।

डा. हर्षवर्धन जी जो 32 सीटों पर जीत प्राप्त कर प्रथम स्थान पर थे सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर ‘आप’ और कांग्रेस को आपस में उलझा सकते थे। परन्तु गडकरीजी ने फोन पर उनको ऐसा करने से मना कर दिया कि ‘‘वे सरकार बनाने का दावा ना करें।’’ बात बड़े नेता की माननी थी सो डा.हर्षबर्धन जी ने चुनाव परिणाम के आते ही शाम को अपने हाथ खड़े कर दिये।

उधर भाजपा अध्यक्ष राजनाथजी दावा कर रहे थे कि वे 4-0 से आगे हैं कि नितिन गडकरी ने हवा निकाल दी। राजनाथजी चाह कर भी डा.हर्षबर्धन को मना नहीं पाये कि वे कम से कम सरकार बनाने का दावा तो प्रस्तुत करें। ताकी विधानसभा में दोनो पार्टियों का रूख क्या रहता है इसका अंदाजा जनता को स्वतः ही लग जाये।

सच है कि राजनीति में घोड़े की चाल हमेशा 2.5 की होती है। शह-मात का खेल जो चलना था नितिन गड़करी जी को, सो उन्होंने डा.हर्षबर्धन को साफ मना कर दिया कि वे किसी की बात ना सुने। जाहिर था इन सबके पीछे सुषमा स्वराज और सबके पीछे थे प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोये आडवाणी जी। मोदी की हवा तो निकलनी ही थी।

रविवार, 12 जनवरी 2014

कुमार विश्वास का विरोध? - शम्भु चौधरी

अफसोस कि बात है राजनीति महत्वाकांक्षा पालने वाले धार्मिक नेताओं की चुप्पी कहीं ना कहीं देश के लोकतंत्र को गुंडों के बल पर चलाने का प्रयास करना है। राजनीति को गुंडे तत्वों का अखाड़ा समझने वाले उन तमाम ताकतों को यह समझ लेना चाहिये कि पिछले 65 सालों से जिस प्रकार लोकतंत्र को जाति, समुदाय में बांट कर राजनीति कर सत्ता के सौदागर बने हुए थे उनके दिन अब लदने को आ चुके हैं। एक कुमार विश्वास को मारने से सैकड़ों कतार में लग जायेंगे।

अमेठी : (Date 13.01.2014)  दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी की सफलता को कांग्रेस अभी पचा भी नहीं पाई थी कि उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी के पुश्तैनी चुनाव क्षेत्र अमेठी में कुमार विश्वास का पंहुचना इनको इतना अखड़ा कि एक 6-7 साल पुराने टिप्पणी पर मुसलमानों को राजनीति करने के लिए उकसाया गया। जबकि उस विवादित टिप्पणी पर कुमार विश्वास कई बार सार्वजनिक माफी भी मांग चुके हैं।

दरअसल ये विवाद उस टिप्पणी को लेकर नहीं यदि वैसा होता तो उसका विरोध करने वाले दिल्ली विधानसभा के एक मात्र जदयू विधायक शोएब इक़बाल जो दो दिन पूर्व उसी खास टिप्पणी पर भड़के हुए थे अचानक से जदयू को छोड़कर ‘आप’ में शामिल होने की इच्छा नहीं जाहिर करते। 

ज़रूर कहीं ना कहीं दाल में काला हैं जो मुसलमानों की भावना को भड़काने का प्रयास कर रहा है। भले ही वो इमाम बुख़ारी साहब ना हो पर जिस प्रकार अमेठी के रास्ते में कुमार विश्वास और ‘आप’ की बस के शीशे तोड़े गये, पत्थर चलाये गए और काले झंडे दिखाये गए इससे तो यह बात साफ हो जाती है कि कहीं ना कहीं इमाम साहब इस आग को हवा देकर अपनी अहमियत दिखाने का प्रयास कर रहें हैं कि देश की राजनीति, मुसलमानों का वोट बैंक उनके झोली से ही निकलते हैं। यदि यह बात सही नहीं है तो इमाम बुख़ारी को सामने आकर अपनी जमात को कहना चाहिये था कि ‘‘वह विवाद कब का समाप्त हो चुका है ऐसे में शोर मचाना उचित नहीं हैं।’’ परंतु उनकी चुप्पी कुछ ओर ही बयान करती है।

 अफसोस कि बात है राजनीति महत्वाकांक्षा पालने वाले धार्मिक नेताओं की चुप्पी कहीं ना कहीं देश के लोकतंत्र को गुंडों के बल पर चलाने का प्रयास करना  है। राजनीति को गुंडे तत्वों का अखाड़ा समझने वाले उन तमाम ताकतों को यह समझ लेना चाहिये कि पिछले 65 सालों से जिस प्रकार लोकतंत्र को जाति, समुदाय में बांट कर राजनीति कर सत्ता के सौदागर बने हुए थे उनके दिन अब लदने को आ चुके हैं। एक कुमार विश्वास को मारने से सैकड़ों कतार में लग जायेंगे।

कुमार विश्वास अमेठी में अकेले नहीं है देश की जन भावना उनके साथ है। ऐसे में कोई भी राजनीति पार्टी या उनका गुंडा कुछ भी हरकतें करता हो, भले ही वह भाजपा, कांग्रेस के इशारे से हो या किसी हिन्दू- मुस्लिम धार्मिक कट्टरपंथियों के द्वारा इसके दुष्परिणाम भुगतने के भी उनको तैयार रहना होगा। 

 आम आदमी के क्रोध की परीक्षा ना लें ये राजनीति दल। लोकतंत्र को बंदर बांट करने के दिन अब लदने जा रहें हैं। अमेठी तो एक संकेत मात्र है। जो लोग सोचते हैं कि उनके हाथ में ही अंडे-डंडे हैं वे इस भ्रम को ना पाले कि आम आदमी चुप बैठेगी। यदि यही अंडा -डंडा आम आदमी ने उठा लिया तो पूरा लोकतंत्र लाल हो जाएगा।

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

अरविंद का जनता दरबार - शम्भु चौधरी


अरविंद केजरीवाल ने सचिवालय की छत से जनता को संबोधित कर जनता को धेर्य रखने को कहा कि ‘‘जल्द ही व्यवस्थित रूप से पुनः जनता दरबार लगाया जाएगा। अरविंद ने अपने बयान में कहा कि इतनी भीड़ की उनको उम्मीद नहीं थी। इसके लिय नये सिरे से पूरी व्यवस्था करनी होगी। जिससे लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द निदान हो सके।’’ 

 दिल्लीः दिनांक 11 जनवरी’2014 - सरकार हो तो ऐसी जो जनता के दर्द को अपना दर्द बना लें। दिल्ली में सचिवालय के बाहर ‘आम आदमी पार्टी की सरकार’’ के द्वारा जनता दरबार में जनता की समस्या इतनी देखने को मिली की शायद कभी किसी ने उनकी सुध तक ना ली हो। जैसे ही आज से सुबह 9.30 बजे से जनता दरबार लगाने की घोषणा हुई जनता को लगा कि कोई उनकी बात सुनेगा, जनता अपने आवेदन और समस्याओं के साथ उमड़ पड़ी। 
आज की बैकाबू भीड़ को देखकर अरविंद केजरीवाल को आज की जनता दरबार को बीच में ही रोक देना पड़ा।

अरविंद केजरीवाल ने सचिवालय की छत से जनता को संबोधित कर जनता को धेर्य रखने को कहा कि ‘‘जल्द ही व्यवस्थित रूप से पुनः जनता दरबार लगाया जाएगा। अरविंद ने अपने बयान में कहा कि इतनी भीड़ की उनको उम्मीद नहीं थी। इसके लिय नये सिरे से पूरी व्यवस्था करनी होगी। जिससे लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द निदान हो सके।’’ 

इस जनता दरबार में सबसे बड़ी समस्या जो देखने को मिली वह लोग समूह के रूप में ज्यादा आ रहे थे। ठेकेदारी में काम कर रहे मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या थी जो लोग बड़े-बड़े ग्रुप बनाकर जनता दरबार में आ गये । जिससे पूरी-पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे चरमरा गई।

कहावत है ‘‘एक अनार-सौ बीमार’’  अरविंद केजरीवाल और इनके मंत्री ज्यों-ज्यों जनता के दर्द को सहलाते गए यह दर्द जख्म का रूप धारण करता गया। मानो दिल्ली की जनता में पिछले 30 सालों से इस दर्द को सहने की आदत सी बन गई थी। असफलता सफलता की कुंजी होती है। आज अरविंद केजरीवाल ने फिर प्रमाणित कर दिया की वे आज भी जनता के साथ हैं। भले ही आज इस दरबार से जनता की समस्या ना सुनी जा सकी हो पर यह तो साफ हो गया कि समस्या की जड़ें बहुत पुरानी है जिसे जड़ से ही समाप्त करना होगा। 

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

राम! राम! सत्यानाश


‘नमो’ समर्थकों की भाषा एक पोस्ट आप भी पढ़ लें। 

‘नमो’ ने अभी से ही अपने समर्थको को गाली गलोज करना सीखा दिया है।
 राम! राम! सत्यानाश कर देगा देश का।

‘नमो’ ने अभी से ही अपने समर्थको को गाली गलोज करना सीखा दिया है।
 राम! राम! सत्यानाश कर देगा देश का।

‘नमो’ ने अभी से ही अपने समर्थको को गाली गलोज करना सीखा दिया है।
 राम! राम! सत्यानाश कर देगा देश का

सोमवार, 6 जनवरी 2014

आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय नीति?

आदरणीय केजरीवाल जी।                 दिनांकः 06/01/2014
सादर नमस्कार!

विषय:  आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय नीति।
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति को प्रेषित पत्र

आदरणीय सदस्यगण।

वैसे तो ‘आम आदमी पार्टी’ से जुड़े मुझे चंद ही दिन हुए हैं राजनीति में लगातार 1974 से रुचि रखने और आप लोगों से जुड़ कर कार्य करने की प्रेरणा से यह पत्र आप सभी सदस्यों के विचारार्थ भेज रहा हूँ।
दिल्ली के चुनाव के पश्चात जिस प्रकार कांग्रेस व भाजपा अन्य राजनीतिक दलों के द्वारा लगाता राष्ट्रवादी व अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस को तेज कर ‘आप’ को बैकफुट पर लाना चाहती है इसके लिए हमें ना सिर्फ सतर्कता की जरूरत है हमें उन तमाम मुद्दों पर गंभीर चिंतन कर नीति के निर्धारण की भी अत्यंत आवश्यकता है।

निम्न विषय आपके ध्यानार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ-

1. सर्वप्रथम हमें संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की भर्ती करनी चाहिए। संभव हो तो उन्हें सवैतनिक भत्ता के साथ सम्मान पूर्वक पद पर उनकी नियुक्ति हो। ताकी संगठन में उनके कार्यानुसार भविष्य में उनको सम्मानित राजनीति पदों पर स्थापित किया जा सके।

2. कश्मीर सहित उन सभी राष्ट्रीय मुद्दों पर ‘आप’ की स्पष्ट नीति हो। ताकी कोई भी उसके विरुद्ध कार्य या बयान ना दे सके।
3. देश की सुरक्षा, अर्थ व्यवस्था, शिक्षा, किसान नीति, मज़दूर नीति, सरकारी-ग़ैरसरकारी कर्मचारी नीति, व्यापार नीति, बैंकिंग नीति, शेयर बाजार , विदेश नीति, पड़ोसी देशों के साथ संबंध, राज्यों के साथ संबंध, विदेशी मुद्रा भंडार व काला धन, खनिज संपदा नीति आदि पर विचार करना।
4.भ्रष्टाचार व अन्य जन अपादा-विपदा नीति के साथ-साथ आम जनता की जनसेवा से जुड़े कई क्षेत्र जिसमें बिजली-पानी, चिकित्सा-दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण, खाद्य वितरण प्रणाली व यातायात व्यवस्था।
5.डालर के मूल्य पर नियंत्रण और तेल के प्रबंध पर अंकुश व आयात-निर्यात व्यवस्था में सामंजस्य करना साथ ही देश की उद्योगिक क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रदान करना।
6.आधार भूत इंफ्रास्टेक्चर व्यवस्था को सुचारु करना, सरकारी विभागों की ज़िम्मेदारी तय करना व सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक सौहार्द बनाये रखते हुए स्वच्छ राजनीति व्यवस्था का निर्माण कर  देश में कानून व व्यवस्था का राज कायम करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
7. खेल क्षेत्र से राजनीतिज्ञों का वर्चश्व समाप्त करना।
8. कई ऐसे विषय जो यहां छुट गए हैं का अध्ययन करना और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पर देश के जाने-माने विद्वानों की राय प्राप्त कर नीति का निर्धारण करना।
9. आम आदमी की प्राथमिकता इस बात पर भी हो कि जो नीति का निर्माण हो वह राष्ट्र की जनता पर दूरगामी प्रभाव छोड़ सके। व अन्य राजनीति पार्टियों को सोचने के लिए मजबूर कर दे।

आशा है 'आप' की  राष्ट्रीय कार्यकारणी समिति मेरे पत्र पर गंभीरता से विचार करेगें। आपके उत्तर का इंतजार रहेगा।

आपका ही शुभचिंतक
शंभु चौधरी, कोलकाता

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

दिल्ली भाजपाः सदी की चूक - शम्भु चौधरी


जहां तक मेरी राजनीति समझ है भाजपा के नेताओं ने दिल्ली में सरकार का दावा ना प्रस्तुत कर ‘आप’ पार्टी को राजनीति जमीन प्रदान कर दी है। आज देशभर में ‘आम आदमी पार्टी’ की धूम मची हुई है। जो लोग भाजपा में आना चाहते थे वे सभी झूंड के झूंड  ‘आप’ को ज्वाईन करने लगे। ‘आप’ द्वारा सरकार बनाने की घोषणा के महज चार दिनों में ‘आप’ को देशभर में जो समर्थन प्राप्त हुआ और दिल्ली में जिस प्रकार शपथ समारोह का दृश्य देशभर ने देखा इससे भाजपा की जमीन नीचे से हिल गई है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में डॉ. हर्षवर्धन जी  के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव लड़ा। नीतिन गडकरी जी इस विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी बनाये गए। चुनाव का वक्त ज्यों-ज्यों नजदीक आता गया विजय गोयल से चुनाव की कमान छीनकर भाजपा के सबसे शातिर नेता श्रीमान् नितिन गडकरी ने गोयल से यह कमान छीन ली और साफ-सुथरी छवि की आड़ में दिल्ली भाजपा की कमान खुद के खेमे के चापलूस नेता डॉ. हर्षवर्धन जी के हाथों थमा दी। दिल्ली भाजपा यह कवायद वह भी चुनाव के ऐन वक्त पर, जीत का बहाना था कि मोदी के विजय रथ को रोकने का? यह तो वक्त ही बतायेगा। हाँ! अब यह बात साफ हो चुकी कि दिल्ली भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन जी ने जिस प्रकार दावा प्रस्तुत किया कि उनकी पार्टी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होकर भी विपक्ष में बैठी है इसका अर्थ निकालना तो पड़ेगा ही।

दरअसल भाजपा के पक्ष में 32 सीटों के परिणाम जैसे ही घोषित हुए,   डॉ. हर्षवर्धन जी ने बैगेर राजनीति विचार विमर्श किये ही बयान जारी कर अपने हाथ खड़े कर दिये बस यही पल भाजपा के लिए आत्मधाती निर्णय साबित हो गया। यह बात तो डॉ. हर्षवर्धन जी विधानसभा के भीतर भाजपा के पक्ष में विश्वास मत प्राप्त करने के वक्त भी कह सकते थे। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग ना कर राजनीति मैदान से भाग से भाग खड़े होने वाले डॉ. हर्षवर्धन जी को यह तो जबाब देना ही होगा कि आज देश भर में मोदी की लहर में ‘आप’ पार्टी को मजबूत आधार प्रदान कर देने के लिए सबसे प्रमुख दोषी कौन है?

जहां तक मेरी राजनीति समझ है भाजपा के नेताओं ने दिल्ली में सरकार का दावा ना प्रस्तुत कर ‘आप’ पार्टी को राजनीति जमीन प्रदान कर दी है। आज देशभर में ‘आम आदमी पार्टी’ की धूम मची हुई है। जो लोग भाजपा में आना चाहते थे वे सभी झूंड के झूंड  ‘आप’ को ज्वाईन करने लगे। ‘आप’ द्वारा सरकार बनाने की घोषणा के महज चार दिनों में ‘आप’ को देशभर में जो समर्थन प्राप्त हुआ और दिल्ली में जिस प्रकार शपथ समारोह का दृश्य देशभर ने देखा इससे भाजपा की जमीन नीचे से हिल गई है। 

इस सबके लिए मैं विशेष रूप से भाजपा को ही जिम्मेदार मानता हूँ। जितना आसान राह था मोदी का दिल्ली सफर, दिल्ली भाजपा ने उसके मार्ग में देशभर में कांटे उगा दिये। दिल्ली भाजपा के प्रभारी श्रीमान नितिन गडकरी ने राजनाथ सिंह से जो राजनैतिक बदला लिया इसके भनक भी शायद किसी को नहीं मिली होगी।  दिल्ली के इस राजनैतिक चाल मे सह किसने किसको दिया यह तो वक्त ही बतायेगा पर मात तो साफ नजर आ रही है। 

दिल्ली विधानसभा में विश्वासमत के दौरान डॉ. हर्षवर्धन जी भले ही नैतिकता की बात करते रहे हों, केजरीलवाल और मनीष सिसोदिया पर व्यक्तिगत अरोपों की झड़ी लगा दी। दिल्ली विधानसभा में कश्मीर का राग अलापते रहे हों पर दिल्ली की जनता के हित में बात कहने से बचते रहे। 30 सालों से दिल्ली की जनता को धोखा देने वाले राजनैतिक दल इससे ज्यादा बोल भी क्या सकते थे? 

खैर! भले ही भाजपा के समर्थक डॉ. हर्षवर्धन के भाषण से खुश हो लें, साथ ही यह भी ना भूलें कि इसी  (डॉ. हर्षवर्धन) व्यक्ति ने ‘आप’ को पूरे देश में रातों-रात फैला दिया है। दिल्ली चुनाव परिणामों के परिपेक्ष में देखा जाए तो जहाँ कांग्रेस ने ‘आप’ को समर्थन देकर दिल्ली में अपनी स्थिति को पहले से बेहतर बना ली है वहीं भाजपा ने सरकार का रास्ता ‘आप’ के लिए छोड़कर मोदी के साथ घोखा किया है। 

जो काम कांग्रेस ने किया यही काम भाजपा भी कर सकती थी। पहली बात तो भाजपा को सरकार बनाने का दावा स्वयं प्रस्तुत करना चाहिये था। सदन के भीतर दोनों (आप एवं कांग्रेस) पार्टियों की स्थिति स्वतः साफ हो जाती। यह नहीं हुआ तो ‘आप’ को समर्थन देकर कांग्रेस को पूरे देश में घेरा जाना था। भाजपा दोनों जगह विफल रही और आज खुद पूरे देश में ‘आप’ की शिकार बन गई। 

गुरुवार, 2 जनवरी 2014

मोदी के राह का रोढ़ा - शम्भु चौधरी


सवाल उठता है कि- डॉ. हर्षवर्धन जी जब खुद मानतें हैं कि दिल्ली की जनता ने उनकी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने लाया है उनके पास विधानसभा में सबसे अधिक सीट है। उनकी पार्टी को सबसे अधिक मत मिले हैं तो सरकार क्यों नहीं बनाई? सवाल सरकार बनाने का नहीं था। प्रधानमंत्री पद का सपना संजाये श्री अडवाणी जी, भाजपा के संविधान को पलटने वाले व दौबारा अध्यक्ष का सपना देखने वाले श्रीमान नितिन गडकरी जी,  महात्मा गांधीजी के पूण्य समाधि स्थल पर ठुमका लगाने वाली सुषमा स्वराज एवं डॉ. हर्षवर्धन जी दिल्ली में मोदी के रथ को रोक कर यह साबित कर दिये कि मोदी को दिल्ली में किसी भी प्रकार से आने नहीं दिया जाएगा। 

दिल्ली के विधानसभा चुनाव के समय डॉ. हर्षवर्धन जी के भाषण से साफ झलक रहा था कि वे दिल्ली की जनता की समस्या के लिए नहीं अपने राजनीति एजेंडे पर भाषण दे रहे थे इनके इस भाषण को भाजपा के तथा कथित राष्ट्रप्रेमी जो सिर्फ खुद को देशभक्त की श्रेणी में रखना चाहते हैं जोर-शोर से प्रचार करने में लग गए।  इनका तर्क मान लिया जाए तो दिल्ली में सिर्फ 33 प्रतिशत जनता ही राष्ट्रप्रमी और बाकी 67 प्रतिशत जनता देशद्रोही? डॉ. हर्षवर्धन जी ने अरविंद केजरीवाल के 18 मुद्दों के जबाब में आपने अपनी 18 भड़ास निकाल दी।
भड़ास में आपने सुरक्षा, भ्रष्टाचार, बंगला, मोहनशर्मा की शहादत, अफजल की फांसी, सेनिकों की शहादत,
 कश्मीर पर बहस,  सिसोदिया जी को चंदा की जाँच,  आयकर विभाग के कमिश्नर नहीं थे केजरीवाल, मुफ्त पानी सिर्फ 8लाख घरों ही क्यों?,  पानी का बिल बढ़ा दिया,  बिजली में सब्सिडी जनता के पैसों का दुरुपयोग है,  आँकड़ों की बाजिगीरी करके धोखा दे रहे , बाटला हाउस एनकाउंटर पर, कश्मीर के देशद्रोही बयानों पर, आतंकवादियों से समर्थन माँगने पर केजरीवाल को देश से माफी माँगनी चाहिए, कांग्रेस के समर्थन पर सवाल किए।   

डॉ. हर्षवर्धन जी मानो दिल्ली विधानसभा में ‘आप’ द्वारा प्रस्तुत विश्वास मत पर भाषण नहीं संसद में जनता को संबोधन कर रहे थे। व्यक्तिगत आरोप लगाने के माहिर भाजपाईयों ने दिल्ली के विधानसभा में भी अपनी जात दिखा दी कि वे जनता की भावना से खिलवाड़ करने के लिए अपने पैंट का जीप भी खोल सकते हैं। 
भाजपा को सिर्फ जनता की भावना से खिलवाड़ करना आता है। दिल्ली के चुनाव में जिस प्रकार इन लोगों ने देश की भावना से खिलवाड़ कर जनता के वोट प्राप्त करने का प्रयास किया इससे साफ हो जाता है कि इनको देश सेवा और देश से कोई प्रेम नहीं । राम मंदिर निर्माण के समय भी कुछ ऐसा ही किया गया था। अब राममंदिर इनके लिए कोई मुद्दा नहीं रहा।

 लोकसभा चुनाव से पूर्व किसी भी प्रकार देश की भावना को सांप्रदायिक जहर से पाट दिया जाय। कारण स्पष्ट है कि भाजपा खुद भ्रष्टाचार से चारों तरफ से घीरी हुई है। कांग्रेस का हर कदम पर भाजपा ने साथ दिया । दिल्ली में पिछले 15 सालों से विपक्ष की भूमिका निभाने में पूर्णतः असफल रही भाजपा दिल्ली विधानसभा में या तो केजरीवाल जी पर, मनीष सिसोदिय व्यक्तिगत आरोपों की छड़ी लगा दी या फिर देश की भावना के साथ खिलवाड़ करते नजर आये। 

सवाल उठता है कि- डॉ. हर्षवर्धन जी जब खुद मानतें हैं कि दिल्ली की जनता ने उनकी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने लाया है उनके पास विधानसभा में सबसे अधिक सीट है। उनकी पार्टी को सबसे अधिक मत मिले हैं तो सरकार क्यों नहीं बनाई? सवाल सरकार बनाने का नहीं था। प्रधानमंत्री पद का सपना संजाये श्री अडवाणी जी, भाजपा के संविधान को पलटने वाले व दौबारा अध्यक्ष का सपना देखने वाले श्रीमान नितिन गडकरी जी,  महात्मा गांधीजी के पूण्य समाधि स्थल पर ठुमका लगाने वाली सुषमा स्वराज एवं डॉ. हर्षवर्धन जी दिल्ली में मोदी के रथ को रोक कर यह साबित कर दिये कि मोदी को दिल्ली में किसी भी प्रकार से आने नहीं दिया जाएगा।  

भाजपा की राजनीति हार का ठिकरा अब डॉ.हर्षवर्धनजी केजरीवाल के ऊपर फोड़ना चाह रहें हैं। मुझे अभीतक इस बात का जबाब नहीं मिला कि 32 सीटों के परिणाम जैसे ही घोषित हुए डॉ. हर्षवर्धन जी ने सीधे मीडिया में बयान जारी कर दिये कि वे सरकार नहीं बनायेगें। इतनी जल्दी और विधायक दल की बैठक बिना किये ही इसप्रकार का बयान कहीं मोदी के खिलाफ गहरी साजिश का हिस्सा तो नहीं? 
आज दिल्ली में ‘आप’ की सरकार बनते ही पूरे देश में केजरीवाल व उनके साथियों को जो समर्थन मिला है क्या इसके लिए दिल्ली भाजपा दोषी नहीं? दिल्ली भाजपा कहीं मोदी के रथ का रोढ़ा तो नहीं बन गई? यह मोदी के समर्थकों को सोचना होगा।
03.01.2014

गडकरी की चाल सफल

जनता पर एहसान लाद रही थी कांग्रेस

देश के इतिहास में शायद यह पहली घटना होगी जब किसी विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हुआ हो। दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ की सरकार के बयान को देश की जनता सीधे देख रही थी। इससे पहले हम विधानसभाओं का प्रसारण जब सदन के भीतर चप्पल-जूते चलते थे तभी देखते थे।
विधानसभा में विश्वास मत पर कांग्रेस अपने 8 विधायकों को लेकर अहंकार में बोलती नजर आई मानो वह ‘आप’ को समर्थन नहीं दिल्ली की जनता के ऊपर बड़ा भारी एहसान कर रही हो। वहीं भाजपा इस बात का दंभ भरती रही कि दिल्ली की जनता ने उनको सर्वाधिक मतों से विजयी बनाया और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में होकर भी विपक्ष में बैठी है। मानो सब कोई जनता के वोट से चून कर आयें, और जनता पर ही अपने दल का एहसान लाद रहें हो। वहीं केजरीवाल ने साफ किया कि वे जनता के साथ कल भी थे और आज भी उसी तरह से जनता के साथ खड़े हैं। आप ने 37-32 से विश्वास मत जीता।

डा. हर्षवर्धन तो पहले से ही भगोड़े थे। 

हर्षवर्धन जी विधानसभा में केवल इस बात का दंभ भर रहे थे कि वे विपक्ष में बैठकर भाजपा दिल्ली की जनता पर ही एहसान कर रही है। ‘‘हमारी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है जिसे जनता ने सबसे अधिक सीटें दी है। सबसे अधिक वोट मिले हमको। हम जनता के वोट से चुनकर आयें हैं इसलिए हम जनता को सदन के भीतर बैठकर जूते मारेगें।

गडकरी की चाल

दिल्ली में गडकरी की चाल सफल हुई दिल्ली में मोदी को हरा दिया गडकरी ने दिल्ली में सरकार ना बनाकर दिखा दिया की देश की पूरी जनता मोदी के साथ नहीं।

बुधवार, 1 जनवरी 2014

कलम आज इनकी जय बोल - शम्भु चौधरी

देश को संसद में, विधानसभा में लूटने वाले लोग, गठबंधन के नाम पर लोकतंत्र का चिरहरण करने वाले, लोकतंत्र को लूटतंत्र में तब्दील करने वाले लोग, चुनाव के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले लोग, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोग, कॉर्पोरेट चंदे के सौदागर, असामाजिक तत्वों के बल पर सत्ता प्राप्त करने वाले लोग, जनतंत्र को बर्वाद कर देने पर आमदा सत्ता की जोड़-तोड़ में माहिर शातिर लोगों को अचानक से सबकुछ अराजकता लगने लगी। 
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता को संभालते ही महज दो दिनों जनता से किया वादा पूरा कर दिखाया। अरविंद केजरीवाल में कार्य करने की अदभुत क्षमता को देख देष आश्चर्यचकित है अपनी बीमारी के बावजूद भी केजरीवाल ने आम जनता से किये दो प्रमुख वादों में- पानी और बिजली क दामों में कटौती कर दिखा दिया कि सरकार चाहे तो जनता की भलाई के लिए कार्य करना चाहे तो इसमें कोई अड़चन नहीं आ सकती। ‘आप’ के मंत्री मनीश सिसोदिया, राखी बिड़ला जहाँ रात को रैन बसेरा का निरक्षण कर रहे तो,  सोमनाथ भारती, सत्येन्द्र जैन, गिरीश सोनी और सौरभ भारद्वाज सभी अपने-अपने कार्य में लगे देखे गए। कई महत्वपूर्ण जनता के हित में फैसले लिए जा रहे हैं । 

जनता एक तरफ खुश नजर आ रही है तो दूसरी तरफ अन्य राजनीति दल एवं इनके द्वारा पोषित समाचार संपादकों, किसी के हाथ तो, किसी के पाँव भारी हो गए । इनको लगने लगा कि अब तक जिस दिल्ली को वे अपने आभा मंडल से हड़प लेना चाहते थे में सफलता नहीं मिल तो क्या हुआ हम अपनी पूरी ताकत झोंक देगें परन्तु केजरीवाल या ‘आप’ पार्टी को किसी भी हालात में मोदी के मार्ग में आने नहीं दिया जाएगा । 

अभी से ही इन लोगों ने आरोपों की झड़ी लगा दी । महज चार दिन में 40 आरोप जन्म हो गए।  ऐसा क्यों किया? वैसे करने से क्या होगा? "जनता का पैसा है।" ‘आप’ वाले जनता का पैसा लुटाने में लग गए? आदि-आदि देश का धन लूटने वाले के मुंह से जनता के प्रति संवेदना के शब्द 30 साल बाद सुनने को मिल रहें हैं 15 साल भाजपा दिल्ली की सत्ता में रहकर भी गरीबों तक पानी पंहुचाने के नाम पर पानी बेचने का धंधा शुरू कर दिया तब इनको जनता की याद आई कि जनता के धन सदुपयोग कर जनता की सेवा की जाय अब अचानक से महज चार दिनों में इनको जनता के धन की चिंता सताने लगी।

15 साल कांग्रेस वाले सत्ता में राज्य किये। शीला जी ने कई विकास के काम किये तब इनको पानी की बात क्यों नहीं आई। दिल्ली के कई कॉलोनियों में आजादी के 60 साल बाद भी पानी की पाइप लाइन तक नहीं डाल पाये, दावा इतना कि मानो देश की तकदीर ही बदल डाली हो। 

देश को संसद में, विधानसभा में लूटने वाले लोग, गठबंधन के नाम पर लोकतंत्र का चिरहरण करने वाले, लोकतंत्र को लूटतंत्र में तब्दील करने वाले लोग, चुनाव के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले लोग, विकास के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाले लोग, कॉर्पोरेट चंदे के सौदागर, असामाजिक तत्वों के बल पर सत्ता प्राप्त करने वाले लोग, जनतंत्र को बर्वाद कर देने पर आमदा सत्ता की जोड़-तोड़ में माहिर शातिर लोगों को अचानक से सबकुछ अराजकता लगने लगी। 

जनता से संवाद यदि अराजकता है तो जनता यही चाहती है। जनता की सत्ता में हिस्सेदारी यदि विद्रोह है तो हाँ! जनता इस विद्रोह के साथ है। जनता का धन लूटने से बचा के जनता के काम आता हो तो अरविंद के हर फैसले जनता को मंजूर है। आज देश करवटें ले रहा है। देश के अच्छे युवक देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। हमें हर हाल में इनका साथ देना चाहिये ।

 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी ने अपनी कविता शायद इन्हीं दिनों के लिये लिखी थी - ‘‘कलम आज इनकी जय बोल’’ मुझे गर्व हो रहा है कि हम आज सपने के भारत को पूर्व से उगता देख रहें हैं । भले ही इन युवकों में प्रशानिक क्षमता-दक्षता कम हो पर देश सेवा का जज्बा जो है इनमें। हम संतुष्ट है। आशा करता हूँ इनका भविष्य उज्जवल हो। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ नववर्ष की मंगलकामना करता हूँ। जय हिन्द, जय भारत!!
02-01-2014
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