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गुरुवार, 23 जून 2011

व्यंग्यः कांग्रेसी दांत - शम्भु चौधरी



जिस शख्स ने भी इस कहावत को ‘‘हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और’’ लिखा, शायद उसे पता भी नहीं होगा कि भारत में एक राजनैतिक दल जिसका नाम कांग्रेस पार्टी है उसके लिए भी इस कहावत को लागू कर दिया जायेगा। जब से कांग्रेस जोंकपाल बनाम लोकपाल बिल बनाने के कसरत में लगी है कांग्रेस पार्टी नये-नये शब्दों का गठन कर कभी अन्ना हजारे तो कभी बाबा रामदेव पर हमला कर रही है तो कभी खुद का बचाव करने में। अब कांग्रेसियों ने दावा किया है कि पिछले 6 माह में इन लोगों ने 68 हजार करोड़ काले धन को सफेद बना दिया है। कांग्रेसीगण इस बात का जबाब हमें शायद नहीं देगी कारण की ‘‘हमरी कलमवा किसी भी चुनावी मैदान से चुन कर पैदा नहीं हुई। साली भ्रष्टाचार के काले कमाई से पैदा होल’वाणी। अब ईंमे हमनी’के का दोष बाड़े? सारे देसवां में’ईं ईईई... धनवा सूरा आआअ...साळा चलते-चलते काला हो गईंल’बां। ऐई..में कांग्रेसियां लोगण’का का दोष देवे का कोणु बात नैईखे बां।’’
अब लो भाई बंगाल में रह कर हमारी कलम भी माकपा की तरह गरीबों की मसीहा बन गई। दिते हुबे...दिते हुबे- पुरिये देबो...पुरिये दिबो... करते-करते किसानों की जमीन ही डकारने लगी। एई तो ममता दीदी छीलो ना होले कांग्रेसी’रा तो चुप कोरे बोसे’ही छिलो। टाटा हो या जैकोनू’क न हो अमार बाबा होअ..क जैखाने साले दूटा फसल होसछिळो सेई जमीनटा के बाममांर्चा सरकार जोर जर्बदस्ती कोरे निये, टाटा के दिये दिळो। दिल्ली'तिके कांग्रेसी'रा बोललो... कार..खा....ना तो लगाते होबे ना होले काज खोथाई पावे? कोनो स्पे..से (चांद) तो नैनोकार बनाते पारेबे ना। ऐखून कांग्रेसीरा, बामदले लोग’रा ताकते ही थाकलो। टाटा गुजराते नरेन्द्र मोदी गोदीते गिए बोसेगिलो आई....रे बाबा ईं कि होळो? खासकोरे बामदले’र लोग भांपते ही पारळो ना की टाटा चुप कोरे गुजराते पालिये जाबे। अब ममता दीदी की सरकार में आते ही सारी अनियमितताओं को दुरस्त करने में लगी है तो कुछ लोग कोर्ट के चक्कर लगाने लगे तो कुछ लोकपाल बिल को भुनाने के लिए सड़कों पर दावा ठोकने में लग गये कि देश में हम कांग्रेसी लोग ही भ्रष्टाचार को मिटाने में दिल से लगे हैं और बाकी के सब या तो नाटक कर रहें हैं या अड़ंगा लगा कर विवाद खड़ा कर रहें हैं। भला विवाद हो भी क्यों नहीं? देश में शायद यह पहला कानून बनेगा जिसमें सरकार की तरफ से नाकाम कोशिशों के वाबजूद के बाद कि बिल के सभी प्रवधानों को इतना जटील बना दिया जाय कि जिसमें भ्रष्टाचारी को कम सजा और भ्रष्टाचारी को पकड़ाने में मदद करने वालों का अधिक सजा मिलेगी। न सिर्फ सजा की मियाद अधिक होगी, अपराधी को निर्दोष साबित होने के लिए उसकी दो बार सुनवाई सुननी होगी। सुनावाई में वरी हो जाने पर सरकारी खर्च पर उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा लड़ा जायेगा जो भ्रष्टाचारी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था और उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जायेगी। सरकार से जरा कोई चुने हुए सांसदों में कोई एक माई का लाल संसद में पूछे कि भाई! इतनी दया किस बात की इन भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए? देश की आम जनता पर तो आप इतनी दया नहीं दिखाते? दस-बीस मुकदमें में भ्रष्टाचारी यदि तथ्य के अभाव में बरी हो भी जाएं तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसका अपराध कम हो गया। दरअसल कांग्रेस आम जनता को पहले से ही डरा देना चाहती है कि सोच लो बेटा मुकद्दमा किये तो हम तो बरी हो ही जायेगें पर तेरी खैर नहीं।
जब से बाबा रामदेव जी अचानक सूं दिल्ली म अनशन करणे’री सोची मेरी तो नींद ही गुमगी। म सोचन लाग्यो कि ‘कि’म’की’ दाळ में काळो है। दिल्ली म बाबा की अगवाई से तो सारी बात दर्पण सूं भी साफ-सुथरी झळकण लाग्गी। भाया! व्यापारी से बड़ों भ्रष्टाचारी थाने कुण मिलसी। एक तो व्यापारी ऊपर से संत, वा कहावत थे सुणी थी कि न’इ थाणे फेर सूं ठाह करा दूँ - ‘‘एक तो करेला ऊपर से नींम चढ़ा’’ खैर बाबा रामदेव बेचारा को तो कांग्रेसी’रां जो कियो सो किया निर्दोष जनता ण’भी ळाठियां मुफ्त म खानी पड़गी। चाळो आपां तो यूँ ही थारो दिमाग चाट लियों अब मेरे मनकी तो म निकाळ’ळी। थे थारो सर भीत सूँ फोड़ता फिरो।

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