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सोमवार, 21 जुलाई 2008

मेरी हत्या की मौन स्वीकृति

कन्या भ्रूण हत्या: हमें बेटी को पराया धन और बेटे को कुल दीपक की मानसिकता से ऊपर उठने की जरूरत है। यह सोचा जाना भी आवश्यक है कि भ्रूण हत्या करके हम किसी को अस्तित्व में आने से पहले ही खत्म कर देते हैं। आज के दौर में बेटीयां बेटे से कमतर नहीं है। इस गलत परम्परा को रोकने के लिये हम सभी को मिलकर तेजी से अभियान चलाना होगा। सरकारी सहयोग की अपेक्षा हमें नही करनी चाहिये। इस मामले में कानून भी लाचार सा ही दिखता है। जाँच सेन्टरों के बाहर बोर्ड पर लिख देने से कि "भ्रूण जाँच किया जाना कानूनी अपराध है।"
उन्हें इसका भी लाभ मिला है। जाँच की रकम कई गुणा बढ़ गई। रोजना गर्भपात के आंकड़े चौकाने वाले बनते जा रहे हैं, चुकिं भारत में गर्भपात को तो कानूनी मान्यता है, परन्तु गर्भाधारण के बाद गर्भ के लिंक जाँच को कानूनी अपराध माना गया है। यह एक बड़ी विडम्बना ही मानी जायेगी कि इस कानून ने प्रचार का ही काम किया। जो लोग नहीं जानते थे, वे भी अब गर्भधारण करते वक्त इस बात की जानकारी कर लेते हैं कि किस स्थान पर उन्हें इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि होने वाली संतान नर है या मादा। धीरे-धीरे लिंगानुपात का आंकड़ा बिगड़ता जा रहा है। यदि समय रहते ही हम नहीं चेते तो इस बेटे की चाहत में हर इंसान जानवर बन जायेगा। भले ही हम सभ्य समाज के पहरेदार कहलाते हों, पर हमारी सोच में भी बदलाव लाने की जरूरत है। इस बहस का प्रयास सिर्फ इतना ही है कि हम एक साथ और एक जगह् बहुत सारी सामग्री देश की पत्र-पत्रिकाओं को उपलब्ध करा दें , ताकि वे इस बात में वक्त न खपाकर सीधे तौर पर यहाँ हुई बहस से अपने उपयोग की सामग्री उठाकर अपने-अपने पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कर सके। हाँ ! हम इतना जरूर चाहेंगे कि जब आप यहाँ प्रकाशित सामग्री लें तो इस वेवपेज का उल्लेख जरूर कर देंवे, ताकि दूसरे भी इसका लाभ लें सकें। आप यदि किसी पत्र-पत्रिका में इस बात की चर्चा कर रहें हों तो यह हमार सौभाग्य होगा। कृपया उसकी एक प्रति हमें जरूर भेंजे। अब तक हमें जो मेल प्राप्त हुए हैं उसके कुछ अंश हम यहाँ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहें हैं।
सीमा सचदेव ने बैंगलोर से एक कविता भेजी जो बड़ी ही मार्मिक कविता है देखें ;

मैं दिखाऊंगी नई राह
दूँगी नई सोच जमाने को
मुझे दुनिया में आने तो दो
मैं जीना चाहती हूँ
मुझे जीने तो दो

वहीं डॉ.कुमारेन्द्र सिंह सेंगर मानते हैं कि: "वर्तमान में समाज में कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध लगातार हो रहा है. सरकार, समाजसेवी संस्थाएं आदि अपने-अपने स्तर पर इस बुराई को दूर करने का प्रयास कर रहे है। इसके बाद भी भ्रूण लिंग की जाँच हो रही है, लड़की के होने पर उसकी गर्भ में ह्त्या हो रही है। बचाव के इन प्रयासों के बीच कुछ नारियों ने एक नया सवाल खड़ा कर पूरे मुद्दे को अलग दिशा में ले जाने का काम किया। इन महिलाओं का सवाल है की वे लड़की नहीं चाहतीं क्योंकि उनके परिवार में पहले से दो या तीन लड़कियां हैं। ऐसे में या तो सरकार उनको लिंग परीक्षण एवं चयन की आजादी दे. यदि सरकार चाहती है कि भ्रूण में कन्या की हत्या न हो तो वो उस लड़की के पैदा होने के बाद उस बच्ची की देखभाल की जिम्मेवारी ले।"

अरूण कुमार वर्मा लिखते हैं-

माँ तू माँ है, अपनी
अपनी ममता पर वार न होने देना
इस बेटी को दुनिया में न लाकर,
बेटी को बादनाम न होने देना
दुनिया को दिखा देना की
माँ बेटी का रिश्ता कितना प्यारा है
संदेश मिले हर माँ को ये की
"बेटी सबका सहारा है"


मनोज भावुक कि कविता तो बहुत ही भावुक कर देती है, पठकों को:

नारी शक्ति, नारी भक्ति
नारी सृष्टि, नारी दृष्टि
आंगन की तुलसी है नारी
पूजा की कलसी है नारी
नेह-प्यार, श्रद्धा है नारी
बेटी, पत्नी, मां है नारी
नारी के इस विविध रूप को आंगन में खिल जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो


रायबरेली से श्री अवतंश रजनीश, प्रदान सम्पादक: 'चर्चित-अचर्चित' की कविता ने तो सबका दिल ही दहला दिया एक बार देखें:

असहाय विवश माँ / जलाए जाने के भय से
बलिपशु की तरह थर-थर कांपती हुई
मेरी हत्या की मौन स्वीकृति
देने को विवश-बाध्य।
नर्सिंग होम का शल्यकक्ष / मूर्छित माँ के गर्भ में
अति सूक्ष्म उपकरण / मेरी हत्या के लिये
मेरे सिर की तलाश कर रहे हैं
और मैं गर्भाशय के एक / कोने में दुबकी-अजन्मी
सभ्य समाज के बीचों-बीच
विज्ञान के जाने माने हाथों से
अपनी निर्मम हत्या की प्रतीक्षा रत हूँ।

यदि आप भी आपने विचार व्यक्त करना चाह्ते हों तो, हमें अपने विचार/लेख, कविता मेल कर इस बहस में हिस्सा लें सकते हैं सभी मेल हमें 30 जुलाई रात तक मिल जाने चाहिए| हमारा पता है: ई-हिन्दी साहित्य सभा, email:ehindisahitya@gmail.com - शम्भु चौधरी
आगे देखें - बहस : भ्रूण हत्या

2 विचार मंच:

हिन्दी लिखने के लिये नीचे दिये बॉक्स का प्रयोग करें - ई-हिन्दी साहित्य सभा

Udan Tashtari ने कहा…

मैं दिखाऊंगी नई राह
दूँगी नई सोच जमाने को
मुझे दुनिया में आने तो दो
मैं जीना चाहती हूँ
मुझे जीने तो दो


--बहुत उम्दा और बाकी सभी रचनाऐं भी उत्कृष्ट हैं. आभार.

Smart Indian ने कहा…

नेक कार्य के लिए बधाई स्वीकारें.

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