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सोमवार, 9 जून 2008

एक गीत: आसमान को छू लें

आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
चन्दामामा से मिल सब,
दूध-बतासा ले लें।
चुन-चुनकर 'तारे' सब,
झोली में हम भर लें,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
सूरज की किरणों से मिल,
नई राह दिखलायें,
प्रकाश ज्ञान का फैले,
ऎसा मार्ग बनायें।
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
बादल के ओटों में छुप-छुप
आँख मिचौली खेलें,
बरस रहे बादल को,
होटों से हम पीं लें।
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
पौ फटने से पहले ही हम
नये गीत को रच लें,
चन्दामामा-तारे सब,
रंगों से हम भर लें,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
स्वर की रचना,
नित्य नवगीत बनाना,
नाच रहे हो कृष्ण-कन्हाई
ऎसे भाव जगाना,
आओ हमसब मिल, आसमान को छू लें।
-शम्भु चौधरी, एफ.डी. - 453/2, साल्टलेक सिटी, कोलकाता - 700106

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