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रविवार, 2 दिसंबर 2007

ये आँखें हैं!

आँखों की स्नेह भरी दुनिया में, बीज ऩफ़रत के मत बोना।
ममता भरी इन आँखों में, आंसू के मोती मत पोना।।
प्यार भरी इन आँखों में, कामुक्ता से मत धोना।
शर्म-ओ-हया इन आँखों की, इंसान के आगे मत खोना।।
आँखों को देने वाले से, आँखें न कभी मिलाना तुम।
नफ़रत के बीज बोने वाले, खेती आँखों में हलने वाले,
बारूद के बल चलने वाले, जह़र के शब्दों से सींचने वाले;
नासमझ को बहकाने वाले,
इंसानों को धमकाने वाले,
यह मत समझो, इन आँखों ने,
जो तुमने दिखलाया,वो ही देखा,
बस देखा है इन आँखों ने वो सब !
जो तुमने नहीं देखा।
देगी ये आँखें ही तेरे इन कारनामों का जबाब,
जब ये जलेगी, तो मांगेगी, एक-एक से जनाब!
आज न सही,
तुम हिटलर, लादेन बनो या सद्दाम!
ये आँखें हैं!
आयेगी जरूर लेने एक दिन, अपना हिसाब
आयेगी जरूर लेने एक दिन, अपना हिसाब -शम्भु चौधरी

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